इस्लाम छोड़ Syed Waseem Rizvi (वसीम रिजवी) बनें हिंदू, नरसिंहानंद गिरी ने कराया धर्म ग्रहण
शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष Syed Waseem Rizvi (वसीम रिजवी) ने इस्लाम छोड़ हिंदू धर्म अपना लिया है. हिंदू धर्म अपनाने के साथ-साथ वसीम रिजवी ने अपना नाम बदलकर जितेंद्र नारायण त्यागी रख लिया है. जूनना अखाड़े के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरी ने उन्हें सनातन धर्म ग्रहण कराया. इसके बाद वसीम रिजवी का शुद्धिकरण और हवन यज्ञ भी किया गया. इस दौरान वसीम रिजवी ने कहा कि मुझे इस्लाम धर्म से निकाल दिया गया है और अब ये मेरी मर्जी है कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं. उन्होने कहा कि मैंने सनातन धर्म चुना, क्योकि ये धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है.
वसीम रिजवी का इतिहास
इस्लाम धर्म छोड़ हिंदू धर्म में वापसी करने वाल Syed Waseem Rizvi (वसीम रिजवी) का जन्म मुस्लिम परिवार में हुआ था. वसीम रिजवी 12वीं के बाद साऊदी अरब के एक होटल में नौकरी करने चले गए और फिर साऊदी से जापना और अमेरिका भी गए. वहीं पारिवारिक परिस्थितियों के चलते रिजवी को वापस लखनऊ लौटे और खुद का काम शुरू किया. इस दौरान उनकी राजनीतिक करियार की शुरुआत भी हुई. उन्होने नगर निगम का चुनाव लड़ा. और शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य भी बनें. साल 2010 में जब शिया वक्फ बोर्ड पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो तत्कालीन चेयरमौन ने इस्तीफा दे दिया और इसके बाद वसीम रिजवी को शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बना दिया गया.
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3 साल बाद यूपी में सत्ता परिवर्तन हुआ और सपा सरकार बनने के बाद 2 महीने के लिए वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया गया. वहीं सपा के बड़े नेता आजम खान के करीबी रहने के चलते 2014 में फिर से वसीम रिजवी को अध्यक्ष पद दिया गया. इसको लेकर मौलाना कल्बे जव्वाद ने सपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. और सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. वहीं सरकार में आजम खान के रुतबे के चलते रिजवी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पद पर बने रहे.
इसके बाद साल 2017 में सत्ता परिवर्तन होने के साथ रिजवी के राजनीतिक तेवर भी बदल गए और मई, 2020 में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद वो दोबारा वापसी करने में नाकाम रहे. आपको बता दें कि वसीम रिजवी पर कई संपत्तियों में भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे और साथ ही तमाम FIR भी दर्ज है. कल्बे जव्वाद के प्रभाव में वक्फ संपत्तियों पर हुए अवैध कब्जे की जांच योगी सरकार ने CBCID को सौंप दी और अब इस मामले की जांच CBI कर रही है.
चर्चाओं में बने रहे रिजवी
2017 में जब से योगी सरकार सत्ता में आई है तब से वसीम रिजवी लगातार चर्चा में बने रहे. उन्होने देश की 9 मस्जिदों को हिंदुओं को सौंप देने की बाद उठाई, कुतुब मीनार में स्थित मस्जिद को हिंदुस्तान की धरती पर कलंक बताया और साथ ही मदरसों की तलीम को आतंकवाद से जोड़ा. वहीं हाल ही में उन्होने कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय ने फतवा देकर उन्हें इस्लाम धर्म से खारिज कर दिया. यही नहीं बल्कि वसीम रिजवी के परिवार के लोग भी उनके खिलाफ हो गए. उनकी मां और भाई तक ने भी उनसे नाता तोड़ लिया.
Syed Waseem Rizvi (वसीम रिजवी) ने पिछले दिनों ‘मोहम्मद’ पुस्तक लिखी थी, जिसको लेकर सियासी हलचल है. इसपर मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि रिजवी ने इस किताब के जरिए पैगंबर की शान में गुस्ताखी की है, जिसके बाद रिजवी ने बयान जारी कर कहा कि उनकी कभी भी हत्या हो सकती है. वहीं पिछले दिनों रिजवू ने अपनी वसीयत भी सार्वजनिक की थी. इसमें उन्होने कहा था कि मरने के बाद उन्हें दफनाया न जाए, बल्कि हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया जाए और उनके शरीर को हिंदू धर्म के अनुसार जलाया जाए और यति नरसिंहानंद उनकी चिता को अग्नि दें.